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क्रिकेट की नई रणनीतियाँ जानिए कैसे जीती जा रही हैं मैचें
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क्रिकेट की नई रणनीतियाँ जानिए कैसे जीती जा रही हैं मैचें

आक्रामक बल्लेबाजी का नया दौर

आधुनिक क्रिकेट में आक्रामक बल्लेबाजी का अहम रोल है। टीमें अब पहले ओवरों से ही रन बनाने पर ज़ोर देती हैं और पावरप्ले में अधिकतम रन बनाकर मैच का रुख़ बदलने की कोशिश करती हैं। यह रणनीति ख़ासकर टी20 और वनडे क्रिकेट में बेहद कारगर साबित हो रही है। धीमी शुरुआत करने के बजाय, खिलाड़ी शुरुआत से ही बड़े शॉट्स खेलने और रन रेट को ऊँचा रखने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इससे विपक्षी टीम पर दबाव बनता है और उनके गेंदबाजों की योजनाएँ बिगड़ जाती हैं।

स्पिन गेंदबाजों का नया इस्तेमाल

पहले स्पिन गेंदबाजों को केवल मध्य ओवरों में ही इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब उनका इस्तेमाल पावरप्ले और डेथ ओवरों में भी किया जा रहा है। कुछ टीमों ने ‘मिस्ट्री स्पिनर’ के रूप में अलग-अलग तरह की गेंदबाजी करने वाले गेंदबाजों को शामिल किया है, जिससे बल्लेबाजों को समझने में मुश्किल होती है। इसके अलावा, वैरायटी स्पिन, जैसे कि गुगली, टम्बलर और कार्टव्हील, का भी अधिक उपयोग किया जा रहा है। ये रणनीतियाँ बल्लेबाजों को चौंकाने और विकेट लेने में कारगर साबित हो रही हैं।

डेथ ओवरों में स्मार्ट गेंदबाजी

डेथ ओवरों में स्मार्ट गेंदबाजी काफ़ी अहम हो गई है। अब गेंदबाज सिर्फ़ तेज़ गेंदबाज़ी पर निर्भर नहीं रहते, बल्कि यॉर्कर, स्लोअर बॉल, और बाउंसर जैसी वैरायटी गेंदों का भी ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही गेंदबाजी क्षेत्ररक्षण भी काफ़ी महत्वपूर्ण हो गया है, जिससे बल्लेबाजों के रन बनाने के अवसर कम हो जाते हैं। टीमें अब अपने गेंदबाजों को डेथ ओवरों के लिए ख़ास तौर पर तैयार करती हैं और उनकी क्षमताओं के अनुसार रणनीति बनाती हैं।

डिपार्टमेंटल रणनीतियाँ

आधुनिक क्रिकेट में डिपार्टमेंटल रणनीतियाँ काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। अर्थात, खिलाड़ियों को उनकी ख़ास क्षमताओं के आधार पर खेलने का मौक़ा दिया जाता है। उदाहरण के लिए, एक खिलाड़ी को केवल बड़े शॉट्स खेलने के लिए उतारा जा सकता है, जबकि दूसरे खिलाड़ी को रन बनाने की ज़िम्मेदारी दी जा सकती है। इसी तरह, गेंदबाजों को भी उनकी ख़ास गेंदबाज़ी शैली के आधार पर इस्तेमाल किया जाता है। इससे टीम की समग्र शक्ति बढ़ती है और विपक्षी टीम को सामना करना मुश्किल होता है।

फील्डिंग प्लेसमेंट में बदलाव

फील्डिंग प्लेसमेंट में भी काफ़ी बदलाव आए हैं। अब टीमें अपने गेंदबाजों और बल्लेबाजों की ख़ासियत को ध्यान में रखते हुए फील्डिंग प्लेसमेंट करती हैं। उदाहरण के लिए, अगर एक गेंदबाज़ यॉर्कर में माहिर है, तो उसके लिए अधिक गहरे फील्ड रखा जाता है। इसके साथ ही, बल्लेबाजों की ख़ासियत को भी ध्यान में रखकर फील्डिंग प्लेसमेंट में बदलाव किया जाता है। इस रणनीति से रन बनाने की गति कम होती है और विकेट लेने के अवसर बढ़ते हैं।

टेक्नोलॉजी का बढ़ता प्रभाव

टेक्नोलॉजी का प्रभाव क्रिकेट की रणनीतियों पर भी पड़ रहा है। अब टीमें खिलाड़ियों के प्रदर्शन का विस्तृत विश्लेषण करती हैं और उसके आधार पर रणनीतियाँ बनाती हैं। इसके लिए वीडियो एनालिसिस, बायोमैकेनिक्स और अन्य तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इससे खिलाड़ियों की कमज़ोरियों और ताकतों का पता चलता है और उसके अनुसार रणनीति बनाई जा सकती है। यह आधुनिक क्रिकेट में एक काफ़ी महत्वपूर्ण पहलू है। यहाँ पर क्रिकेट मैच की रणनीतियों के बारे में भी पढ़ें।